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सिविल कानून

सशर्त बिक्री द्वारा बंधक

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 23-Aug-2023

कानूनी प्रतिनिधि के माध्यम से प्रकाश (मृत) बनाम जी. आराध्या एवं अन्य।

"किसी लेन-देन को तब तक बंधक नहीं माना जाएगा जब तक कि उस दस्तावेज़ में प्रतिहस्तांतरण की शर्त शामिल न हो जिसका उद्देश्य बिक्री को प्रभावित करना हो।"

न्यायमूर्ति हिमा कोहली, न्यायमूर्ति राजेश बिंदल

स्रोत: उच्चतम न्यायालय

चर्चा में क्यों?

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि किसी लेन-देन को तब तक बंधक नहीं माना जाएगा जब तक कि दस्तावेज़ में प्रतिहस्तांतरण की वह शर्त शामिल न हो जिसका उद्देश्य बिक्री को प्रभावित करना हो।

उच्चतम न्यायालय ने कानूनी प्रतिनिधि के माध्यम से प्रकाश (मृत) बनाम जी. आराध्या एवं अन्य मामले में यह टिप्पणी दी।

पृष्ठभूमि

  • बिक्री विलेख के माध्यम से संपत्ति के हस्तांतरण और बाय बैक डीड के माध्यम से उसी संपत्ति के प्रतिहस्तांतरण से संबंधित दो दस्तावेज़ एक ही दिन में निष्पादित किये गये थे।
    • दोनों ही डीड एक ही दिन निष्पादित की गई थी लेकिन अलग-अलग दस्तावेजों के रूप में।
  • जिस विक्रेता को संपत्ति दी गई थी, वह बिक्री विलेख के पाँच साल के भीतर संपत्ति को इस शर्त पर फिर से हस्तांतरित करने के लिये सहमत हुआ कि उसे बिक्री पर 5000 रूपये/- (पाँच हजार रुपये) का भुगतान किया जाए।
  • संपत्ति के विक्रेता (अपीलकर्ता के पिता) ने संपत्ति के प्रतिहस्तांतरण के लिये क्रेता को नोटिस भेजा।
    • क्रेता ने जवाब दिया कि इसे सशर्त बिक्री द्वारा बंधक नहीं रखा गया था। यह संपत्ति की एकमुश्त बिक्री थी।
  • इसके बाद अपीलकर्ता ने बंधक को छुड़ाने के लिये मुकदमा दायर किया जिसे ट्रायल कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया।
    • ट्रायल कोर्ट के आदेश को उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा।
  • इसके बाद यह अपील उच्चतम न्यायालय में दायर की गई।

न्यायालय की टिप्पणी

  • उच्चतम न्यायालय ने पाया कि संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (Transfer of Property Act, 1882 (TPA) की धारा 58 (c) के प्रावधान में कहा गया है कि यदि प्रतिहंस्तांतरण की शर्तों का उस दस्तावेज़ में उल्लेख नहीं किया गया है जो बिक्री को प्रभावित करती है या करने का इरादा रखती है, तो लेन-देन को बंधक के रूप में नहीं माना जाता है।

गिरवी रखना या बंधक

  • बंधक को संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (Transfer of Property Act, 1882 (TPA) की धारा 58 के तहत परिभाषित किया गया है।
    • इस धारा के अनुसार, यह विशिष्ट अचल संपत्ति में हित का हस्तांतरण है।
  • ऐसे अंतरण को अग्रिम या ऋण के माध्यम से दिये जाने वाले धन के भुगतान, मौजूदा या भविष्य के ऋण के माध्यम से किये जाने वाले भुगतान, या किसी ऐसे कार्य को करना सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया जाता है जो आर्थिक दायित्व को जन्म दे सकता है।
  • अंतरणकर्ता को बंधककर्ता कहा जाता है, और अन्तरिती को बंधकदार कहा जाता है।
  • मूल धन और ब्याज जिसका भुगतान तत्समय किया जाता है, बंधक-धन कहलाता है।
  • और वह लिखत (यदि कोई हो) जिसके द्वारा अंतरण किया जाता है, बंधक-विलेख कहलाता है।

बंधक के प्रकार

  • साधारण बंधक:
    • साधारण बंधक में, गिरवी रखी गई संपत्ति पर कब्ज़ा दिये बिना, बंधककर्ता व्यक्तिगत रूप से बंधक राशि का भुगतान करने के लिये बाध्य होता है, और यदि बंधकदार राशि का भुगतान करने में विफल रहता है तो उसे संपत्ति बेचने का अधिकार होता है।
  • सशर्त बिक्री द्वारा बंधक:
    • इस प्रकार के बंधक में, बंधककर्ता कुछ शर्तों के आधार पर गिरवी रखी गई संपत्ति को प्रत्यक्ष रूप से बेचता है।
  • भोग बंधक:
    • बंधककर्ता बंधकदार को कब्ज़ा सौंपता है और उसे बंधक-धन का भुगतान होने तक ऐसा कब्ज़ा बनाए रखने और संपत्ति से होने वाले किराए और लाभ प्राप्त करने के लिये अधिकृत करता है।
  • अंग्रेजी बंधक:
    • अंग्रेजी बंधक में, बंधककर्ता एक निश्चित तिथि पर बंधक-धन चुकाने के लिये खुद को बाध्य करता है, और गिरवी रखी गई संपत्ति को पूरी तरह से बंधकदार को हस्तांतरित कर देता है, लेकिन एक प्रावधान के अधीन कि वह बंधक सहमति के अनुसार धन के भुगतान पर इसे फिर से बंधककर्ता को हस्तांतरित कर देगा-
  • स्वामित्व-विलेखों की जमा राशि द्वारा बंधक:
    • अचल संपत्ति के मालिकाना हक के दस्तावेज उस पर प्रतिभू के इरादे से सौंपता है, ऐसे लेनदेन को स्वामित्व-विलेखों की जमा राशि द्वारा बंधक कहा जाता है।
  • विलक्षण बंधक
    • संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 58 के अनुसार विलक्षण बंधक जो बंधक तो है लेकिन सादा बंधक, सशर्त विक्रय द्वारा बंधक, भोग बंधक, अंग्रेजी बंधक या हक विलेख बंधक नहीं है वह बंधक, विलक्षण बंधक कहलाता है।
  • संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (Transfer of Property Act, 1882 (TPA) की धारा 58 की उप-धारा (C) के अनुसार, बंधककर्ता कथित तौर पर गिरवी रखी गई संपत्ति को बेचता है -
    • इस शर्त पर कि एक निश्चित तिथि पर बंधक-धन का भुगतान न करने पर बिक्री पूर्ण हो जाएगी, या
    • इस शर्त पर कि ऐसा भुगतान किये जाने पर बिक्री शून्य हो जाएगी,
    • या, इस शर्त पर कि यदि ऐसा भुगतान किया जाता है तो खरीदार संपत्ति विक्रेता को हस्तांतरित कर देगा।
  • धारा के परंतुक में कहा गया है कि ऐसे किसी भी लेनदेन को बंधक नहीं माना जाएगा, जब तक कि वह शर्त दस्तावेज़ में शामिल न हो जो बिक्री को प्रभावित करती है या प्रभावित करने का इरादा रखती है।